Details, Fiction and shiv chalisa in hindi
Details, Fiction and shiv chalisa in hindi
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अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
अर्थ: हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर Shiv chaisa अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे Shiv chaisa सारे दुख दूर करो भगवन।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।